اتوار، 17 نومبر، 2024

📌सोने के आदाब✍️

📌सोने के आदाब✍️

नींद इंसान की ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा है, और इस्लाम ने ज़िंदगी के हर पहलू के लिए हिदायतें दी हैं, यहां तक कि सोने के आदाब भी। हज़रत मोहम्मद ﷺ की हदीसों की रोशनी में सोने के दौरान किए जाने वाले अमल और दुआएं इंसान की रूहानी और जिस्मानी हिफाज़त का ज़रिया बनती हैं। इस ब्लॉग में हम सोने के सुन्नत आदाब और उनकी एहमियत पर रौशनी डालेंगे।

1. रात को जल्दी सो जाना
दीन और दुनिया के जरूरी काम पूरे करने के बाद रात को जल्दी सो जाना सुन्नत है। यह सेहत के लिए फायदेमंद है और इबादत के लिए तरावट का कारण बनता है।

2. घर के दरवाज़े बंद करना
रात को घर के दरवाज़े "बिस्मिल्लाह" पढ़कर बंद कर देना चाहिए। यह अमल घर को हर तरह की बुराई और नुकसान से महफूज़ रखता है।

3. बर्तन ढकना
खुले बर्तन और पानी के मटके या बर्तन को ढक देना चाहिए ताकि कोई नुकसान पहुंचाने वाली चीज़ इनमें दाखिल न हो सके।

4. बत्तियां बुझाना
ज़रूरत से ज़्यादा बत्तियां या चिराग़ बुझा देना सुन्नत है, जिससे फुज़ूलखर्ची भी नहीं होती और घर में अमन रहता है।

5. वुज़ू करके सोना
वुज़ू करके सोने से इंसान गुनाहों से पाक होता है और अल्लाह की हिफाज़त में रहता है।

6. बिस्तर झाड़कर सोना
हज़रत मोहम्मद ﷺ ने बिस्तर झाड़कर सोने की ताकीद की है ताकि बिस्तर पर कोई हानिकारक चीज़ न रह जाए।

7. सुरमा लगाना
सोने से पहले आँखों में सुरमा लगाना सुन्नत है, जो आँखों के लिए फायदेमंद है।

8. वसीयत करना
सोने से पहले वसीयत करना सुन्नत है, क्योंकि इंसान नहीं जानता कि सुबह वह ज़िंदा रहेगा या नहीं।

9. अच्छी नीयत और तौबा करके सोना
सोने से पहले दिल को हर तरह की बुरी भावनाओं जैसे कि नफरत और जलन से पाक करके अल्लाह की रज़ा के लिए सोना रूहानी सुकून देता है।

10. तहज्जुद की नीयत
तहज्जुद के लिए उठने की नीयत करके सोना इंसान के इबादत के शौक और तक़वा को दर्शाता है।

11. सुन्नत दुआएं पढ़ना

सोने से पहले रसूल ﷺ की बताई गई दुआएं पढ़ना रूहानी हिफाज़त और सुकून का कारण बनती हैं। कुछ प्रमुख दुआएं ये हैं:
  1. بِاسْمِكَ رَبِّ وَضَعْتُ جَنْبِي وَبِكَ أَرْفَعُهُ، إِنْ أَمْسَكْتَ نَفْسِي فَارْحَمْهَا، وَإِنْ أَرْسَلْتَهَا فَاحْفَظْهَا بِمَا تَحْفَظُ بِهِ   عِبَادَكَ الصَّالِحِينَ.


2. اللَّهُمَّ خَلَقْتَ نَفْسِي وَأَنْتَ تَوَفَّاهَا، لَكَ مَمَاتُهَا وَمَحْيَاهَا، إِنْ أَحْيَيْتَهَا فَاحْفَظْهَا، وَإِنْ أَمَتَّهَا فَاغْفِرْ لَهَا، اللهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ الْعَافِيَةَ .
 ٣. بِاسْمِكَ أَللّٰه‍ُمَّ أمُوْتُ وَأَحْيَا .
 ٤. اللَّهُمَّ رَبَّ السَّمَوَاتِ، وَرَبَّ الأَرْضِ، وَرَبَّ الْعَرْشِ الْعَظِيمِ، رَبَّنَا وَرَبَّ كُلِّ شَيء، فَالِقَ الْحَبِّ وَالنَّوَى، وَمُنْزِلَ التَّوْرَاةِ وَالإِنْجِيلِ وَالْفُرْقَانِ، أَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ كُلِّ شَيْءٍ أَنْتَ آخِذ بِنَاصِيَتِهِ، اللَّهُمَّ أَنْتَ الأَوَّلُ، فَلَيْسَ قَبْلَكَ شَيْءٌ، وَأَنْتَ الآخِرُ فَلَيْسَ بَعْدَكَ شَيْءٌ، وَأَنْتَ الظَّاهِرُ، فَلَيْسَ فَوْقَكَ شَيْءٌ، وَأَنْتَ الْبَاطِنُ، فَلَيْسَ دُونَكَ شَيْءٌ، اقْضِ عَنَّا الدَّيْنَ، وَأَغْنِنَا مِنَ الْفَقْرِ.
 ٥.الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَطْعَمَنَا وَسَقَانَا، وَكَفَانَا وَآوَانَا، فَكَمْ مِمَّنْ لَا كَافِيَ لَهُ وَلَا مُؤْوِيَ .
٦. اللَّهُمَّ فَاطِرَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ، عَالِمَ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ، أَنْتَ رَبُّ كُلِّ شَيْءٍ وَّ مَلِيْكَه، أَشْهَد أَنْ لَا إِلٰهَ إِلَّا أنْتَ ( وَحْدَكَ لَا شَرِيْكَ لَكََ)،أَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ نَفْسِي وَشَرِّ الشَّيْطَانِ وَشِرْكِهِ  ،وَأَنْ أَقْتَرِفَ عَلَى نَفْسِي سُوءًا، أَوْ أَجُرَّهُ إِلَى مُسْلِمٍ .
 ٧. اللَّهُمَّ أَسْلَمْتُ نَفْسِي إِلَيْكَ، وَفَوَّضْتُ أَمْرِي إِلَيْكَ، وَوَجَّهْتُ وَجْهِي إِلَيْكَ، وَأَلْجَأْتُ ظَهْرِي إِلَيْكَ ؛ رَغْبَةً وَرَهْبَةً إِلَيْكَ، لَا مَلْجَا وَلَا مَنْجَى مِنْكَ إِلَّا إِلَيْكَ، آمَنْتُ بِكِتَابِكَ الَّذِي أَنْزَلْتَ، وَبِنَبِيِّكَ الَّذِي أَرْسَلْتَ  .
٨. اللَّهُمَّ قِنِي عَذَابَكَ يَوْمَ تَبْعَثُ عِبَادَكَ . تین مرتبہ
٩. تسبیحات فاطمہ ( 33 مرتبہ/ سبحان اللہ،33 مرتبہ/ الحمدللہ،34 مرتبہ/ اللہ اکبر)۔
 ١٠ . أَسْتَغْفِرُ اللهَ الَّذِي لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّومُ وَأَتُوبُ إِلَيْهِ .
 ١١. لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ، وَلَهُ الْحَمْدُ، وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ، وَلَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ، سُبْحَانَ اللَّهِ وَبِحَمْدِهِ ، لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَ الله أكْبَرْ . 
١٢. اللَّهُمَّ اغْفِرْ لِي وَاخْسَأْ شَيْطَانِي، وَفُكَّ رِهَانِي، وَثَقِّلْ مِيزَانِي،  وَاجْعَلْنِي فِي النَّدَى الْأَعْلَى۔                                    


3.  तसबिहात ऐ फातिमा
( 33 बार "सुब्हान अल्लाह"33 बार "अल्हम्दु लिल्लाह"34 बार "अल्लाहु अकबर") 

12. क़ुरान की तिलावत
सोने से पहले कुछ आयतें और सूरह पढ़ना सुन्नत है, जैसे:
आयत-उल-कुर्सी (सूरह बकरा, आयत 255)
सूरह बकरा की आखिरी दो आयतें (आयत 285-286)
सूरह इखलास, सूरह फलक, और सूरह नास पढ़कर अपने शरीर पर दम करना।

13. दाईं करवट पर सोना
रसूल ﷺ दाईं करवट पर सोते थे। यह अमल सुन्नत है और इसे अपनाना फायदेमंद है।

14. नींद न आने पर ज़िक्र
अगर नींद न आए तो अल्लाह का ज़िक्र करें और सोने की दुआएं पढ़ें।

15. जनाबत की हालत में वुज़ू
अगर इंसान जनाबत (नापाकी) की हालत में हो, तो वुज़ू करके सोए।

अन्य आदाब

ऊधे मुँह न सोएँ।

बिना मुंडेर वाली छत पर न सोएँ।

आम रास्ते या भीड़-भाड़ वाली जगह पर न सोएँ।

दोपहर में क़ैलुला (थोड़ा सोना) करना सुन्नत है।


🔗.   नतीजा.    🔗
इन सुन्नत आदाब को अपनाना न केवल रसूल ﷺ की सुन्नत पर अमल का सबब बनता है, बल्कि इंसान को जिस्मानी, रूहानी और मानसिक फ़ायदे भी पहुँचाता है। हमें चाहिए कि अपनी ज़िंदगी को इन मुबारक तालीमात के मुताबिक ढालने की कोशिश करें।


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