اتوار، 10 نومبر، 2024

🌺दर्बार-ए-रिसालत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हक़ूक़ व आदाब 🌺

📌दर्बार-ए-रिसालत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हक़ूक़ व आदाब📌

नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ात-ए-अकदस को अल्लाह तआला ने मुसलमानों के लिए हिदायत और रहमत का बायस बनाया है। आपकी मोहब्बत और तअज़ीम हर मुसलमान पर फर्ज़ है। यहां दर्बार-ए-रिसालत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के कुछ हक़ और आदाब को बयान किया जा रहा है जिन्हें हर मुसलमान के दिल में बिठाना ज़रूरी है।

1. आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर ईमान लाना:
ईमान की बुनियाद, रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की नबुव्वत पर मुकम्मल यकीन रखने में है।

2. आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की इताअत और पैरवी करना:
रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत पर अमल करना और अपनी ज़िन्दगी को आपकी तालीमात के मुताबिक ढालना ज़रूरी है।

3. सबसे ज्यादा आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मोहब्बत करना:
एक मुसलमान के लिए ज़रूरी है कि वह दुनिया में सबसे ज्यादा मोहब्बत नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से करे।

4. आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सबसे अफ़ज़ल होने का अक़ीदा रखना:
यह अक़ीदा रखना कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तमाम इंसानों और नबियों में सबसे अफ़ज़ल हैं।

5. आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ख़ातम-उन-नबीयीन होने का अक़ीदा रखना:
यह यकीन रखना कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह तआला के आखिरी नबी हैं और उनके बाद कोई नबी नहीं आएगा।

6. आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के मासूम और बेगुनाह होने का यकीन करना:
यह यकीन रखना कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के रसूल हैं और तमाम गुनाहों से पाक हैं।

7. अदना मुखालफत से बचना:
अपने आमाल और अक़वाल में ऐसी चीज़ों से बचना जो नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मुखालफत में आती हैं।

8. मोहब्बत में ग़ुलू से बचना:
मोहब्बत में इस हद तक ना बढ़ें कि अल्लाह के लिए खास सिफात को नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए भी साबित मान लें।

9. दुरूद व सलाम भेजना:
कसरत से नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दुरूद व सलाम भेजते रहना, इससे मोहब्बत और ईमान में इज़ाफा होता है।

10. अहले बैत से मोहब्बत करना:
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अहले बैत और औलाद से मोहब्बत रखना ईमान का हिस्सा है।

11. सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम से मोहब्बत करना:
सहाबा कराम रज़ियल्लाहु अन्हुम की इज्ज़त व एहतराम करना और उनसे मोहब्बत रखना असल में रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मोहब्बत का हिस्सा है।

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